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कुछ विशेष परिस्थितियों में प्राथमिक उपचार first aid in some situations

हमारे जिन्दगी में कभी ऐसा दिन भी आता है या आ जाये जब किसी को या हमें अचानक से कोई सांप काट ले | या कही रास्ते में मधुमक्खी हमें अचानक से काट ले या कोई अपना या आस पड़ोस का कोई व्यक्ति ज्यादा नीद की गोली खा ली हो | तो उस समय हमारे मन में आता है की हम क्या करे की अगर व्यक्ति नीद की गोली से मर रहा है तो उसे बचने के लिए या मधुमक्खी ने डंक मारा है तो उसकी पीड़ा  कम करने के लिए  या साप ने काट लिया तो उस व्यक्ति को बचाने के लिए  | ऐसे समय में हमें प्राथमिक उपचार (first aid ) पता ना  हो तो हम अपने आप को या दुसरे को नहीं बचा पाएंगे |


आज मै उन्ही कुछ चीजो के बारे में जानकारी आप लोगो से शेयर करने वाला हूँ जो सायद कभी जीवन में आप के कम आ जाये | तो चलिए जानते है कुछ विशेष परिस्थितियों में प्राथमिक उपचार --



नीद की गोलियाँ लेने की स्थिति में (first aid in case of  taking sleeping pills):-

first aid
sleeping pills 


  1. यदि रोगी चेतना में है, तो उसे नमकयुक्त कई गिलास पानी पीने को देना चाहिए। एक पिण्ट पानी में एक बड़ी चम्मच भरकर नमक मिलाना चाहिए।
  2. रोगी को वमन कराने का प्रयत्न करना चाहिए।
  3. यदि उसकी श्वास अवरुद्ध हो रही है, तो कृत्रिम रूप से श्वसन करवाना चाहिए।
  4. यदि रोगी को मूर्छा आ रही है, तो तत्काल चिकित्सक को बुलाना चाहिए एवं उसके आने तक रोगी को अच्छी तरह गर्म रखना चाहिए।





पारा लेने की स्थिति में (first aid in case of taking mercury):-

first aid
mercury infected


  1. पानी में अण्डे की सफेदी मिलाकर देने के बाद दूध पिलाइएँ।
  2. वमन (उलटी )कराने वाले पदार्थ को दें। वमन कराने के लिए एक-चौथाई लीटर गर्म पानी में 15 ग्राम नमक डालकर पिलाना लाभदायक होता है।








आहार-विषाक्तता की स्थिति में (first aid In case of dietary poisoning):-

first aid
dietary poisoning


  1. यदि संदूषित पदार्थों के अन्तर्ग्रहण में अधिक समय नहीं हुआ हो, तो दूषित पदार्थों को वमन के माध्यम से बाहर निकालें।
  2. यह कार्य शीघ्र सम्पन्न करना चाहिए ताकि विषाक्तता शरीर में शोषित होने से रुक सके।
  3. यदि अन्तर्ग्रहित हुए काफी समय हो गया है, तो वमन उपयोगी नहीं है।
  4. रोगी को तुरन्त पास के अस्पताल में ले जाने की व्यवस्था करनी चाहिए।






जहरीले साँप के काटने की स्थिति में (first aid In case of poisonous snake bite):-

first aid
snake bite


  1. व्यक्ति को शान्त रखें। शरीर के जिस अंग पर साँप ने काटा है, उसे बिल्कुल भी हिलाएँ नहीं। यह अंग जितना अधिक हिलेगा जहर उतना ही जल्दी शरीर में फैलेगा। जिस व्यक्ति के पाँव पर साँप ने काटा हो उसे सम्भव हो तो एक कदम भी पैदल नहीं चलाना चाहिए। ऐसी स्थिति में उसे स्ट्रेचर पर ले जाना चाहिए। उसे तुरन्त चिकित्सा सहायता हेतु भेजे |
  2. दंश से थोड़ा ऊपर अंग पर कपड़ा बाँध दें। कपड़े को बहुत ज्यादा कसकर न बाँधे तथा इसके साथ ही हर आधे घण्टे के बाद उसे थोड़ी-सी देर के लिए अवश्य खोलें। उसके बाद फिर से बाँध लें। हाथ या. पाँव को स्थिर रखें और नाड़ी की गति देखते रहें। अगर बन्धन के कारण नाड़ी गति रुके, तो कपड़े की गाँठ थोड़ी ढीली कर दें।
  3. पूरे हाथ या पाँव में पट्टी लपेट दें, पर सुनिश्चित करें कि नाड़ी गति जारी रहे।
  4. इसके बाद उसमें खपच्ची लगा दें ताकि वह अंग हिले-डुले नहीं।




मधुमक्खी या बर्र के डंक लगने की स्थिति में (first aid In case of a bee or burrow sting):-

first aid
bee sting


  1. डंक लगे स्थान के आस-पास गर्म पानी में भीगे कपड़े को रखें और दबाएँ।
  2. मधुमक्खी के डंक के लिए डंक लगे क्षेत्र पर चूना लगाएँ।
  3. बर्र के डंक के लिए डंक लगे क्षेत्र पर सिरका लगाएँ।
  4. पीड़ा से छुटकारा पाने के लिए एस्पिरीन और प्रतिहिस्टामीन की गोलियाँ लें।
  5. यदि किसी किस्म के प्रघात के लक्षण हों, तो एलर्जी प्रघात का उपचार करें।
  6. लोहा घिसकर लगाने से भी आराम मिलता है।
  7. डंक को चाकू के द्वारा बाहर निकाल लेना चाहिए।




जल जाने पर जब फफोले बन जाये (first aid on burning):-

first aid
burning man


  1. ऐसी स्थिति में बने फफोलो को फोड़ना नहीं चाहिए |
  2. यदि फफोले टूट फूट गए हो और उपरी चमड़ी हट गहि हो ,तो उन्हें किसी एंटीसेप्टिक घोल से साफ कर लेना चाहिए |
  3. प्रभावित अंग पर सिल्वर सल्फाडायबिनया कम में लिया जा सकता है |
  4. थोड़ा सा जोंसियन बैगनी (gentian violet ) लगाये ,घाव को बिना ढके रहने दे |
  5. जले हुये भाग को जितना संभव हो साफ रखे ,इसे गन्दगी,धूल और मक्खियों से बचाकर रखे |





धमसन या कुचलाव होने पर (first aid on contusion):-

first aid
contusion


  1. धमसन या कुचलाव किसी भरी वस्तु के गिरने से शारीरिक चोट के परिणाम स्वरूप मृदु ऊतको की क्षति को कहा जाता है |
  2. भीतरी रक्त स्राव को रोकने तथा दर्द को कम करने के लिए धमसिन स्थल को पूर्ण आरामदायक स्थिति में रखे |इससे रक्त स्राव  नियंत्रित होने में मदद मिलती है मृदु ऊतको में रक्त स्त्राव को नियंत्रित करने के लिए उस अंग को कुछ उचाई पर रखे |
  3. स्थल पर बर्फ की थैलिय संपीडक पट्टी बांधे | ठंडक से रक्तवाही संकुचित हो जाति हैं तथा रक्त स्त्राव कम होने लगता है |
  4. धमसन या कुचलाव होने के दो-तीन दिन पश्चात् स्थल को गर्माहट दे ,जिससे स्त्रावित रक्त का अपशोषण (absorption) तीव्र हो जाता है | इसके लिए गर्म पानी में धमसिन अंग को डुबोये रखे |


प्राथमिक उपचार क्या होता है उसके बारे में जानने के लिए click here

                                   

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