स्त्रियों का दुरुपयोग और उनके प्रति हिंसक व्यवहार भारत में महिलाओं की आम और गम्भीर समस्या है। महिलाओं के प्रति हिंसा (Women Violences) से अभिप्राय पुरुष द्वारा महिला के साथ किए जाने वाले हिंसक व्यवहार से है, चाहे यह हिंसक व्यवहार (Violence Behaviour) उसके किसी निजी सम्बन्धी; जैसे—पिता, भाई, चाचा, पति, ससुर, देवर आदि द्वारा किया गया हो, चाहे वह अन्य पुरुषों ने किया हो।
भारत में अभी भी बलात्कार के केस आए दिन प्रकाश में आते रहते हैं। न्यायालयों में अभी ऐसे केसों में बलात्कार के सिद्ध होने का दायित्ववादी पर है, जिसके कारण न्यायालय में नारी से अनेक आपत्तिजनक प्रश्न पूछे जाने के कारण ऐसे केस दबकर रह जाते है।
इस सन्दर्भ में अभी नारी जागृति की आवश्यकता है और कानूनो में अभी सुधार की आवश्यकता है।
किसी नाबालिग । लड़की को फुसलाना, उस पर मानसिक दबाव डालना, उसे यौन सम्बन्ध : स्थापित करने के लिए राजी करना, उसे पैसे का लालच देना, उसके माता-पिता से उसे अलग करना आदि अपहरण के ही उदाहरण हैं। भारतीय दण्ड संहिता (I.P.C.) की धारा 366 व 361 के अनुसार, अपहरण करने वालों को कारावास तथा जुर्माने की व्यवस्था है। हमारे देश में एक दिन में लगभग 42 लड़कियों/स्त्रियों का अपहरण किया जाता है या उन्हें भगाकर ले जाया जाता है। इस प्रकार वर्ष में लगभग 15000 महिलाओं का अपहरण किया जाता है। इस प्रकार स्पष्ट होता है कि बालिका का अपहरण आगे चलकर अधिकांशतः बलात्कार में परिणित हो जाता है। इसे रोकने के लिए लोगों में इसके विरुद्ध चेतना पैदा करने की आवश्यकता होती है।
हत्या कर दी जाती है।
दुर्व्यवहार सम्मिलित हैं।
1. शारीरिक शोषण
भारत में महिलाओं के प्रति हिंसा को इस केटेगरी में बाट सकते है :-
1. आपराधिक हिंसा (Criminal Violence); जैसे बलात्कार, अपहरण, हत्या आदि।
2. घरेलू हिंसा (Domestic Violence) जैसे दहेज उत्पीड़न, दहेज हत्या, पत्नी को पीटना, लैंगिक दुर्व्यवहार, विधवाओं और वृद्ध महिलाओं के साथ दुर्व्यवहार आदि।
3. सामाजिक हिंसा (Social Violence); जैसे पत्नी या पुत्रवधू को कन्या भ्रूण हत्या के लिए बाध्य करना, महिलाओं से छेड़छाड़, सम्पत्ति में महिलाओं को हिस्सा देने से इनकार करना, विधवा को सती के लिए बाध्य करना, पुत्रवधू को और अधिक दहेज लाने के लिए बाध्य करना व उसे सताना, कामकाजी महिलाओं को कठोर दोहरी भूमिका निभाना आदि।
भारत में महिलाओं के प्रति हिंसा के प्रमुख रूप (Main Forms of Women Violence in India):-
भारत में महिलाओं के प्रति हिंसा के प्रमुख रूप ये हैं -1. बलात्कार (Rape):-
बलात्कार पुरुष द्वारा स्त्री के प्रति हिंसा का प्रमुख रूप है। बलात्कार का अर्थ किसी महिला से उसकी इच्छा के विरुद्ध, उसे डरा-धमकाकर या मार डालने की धमकी देकर, अवयस्क लड़की को बहला-फुसलाकर या जोर जबरदस्ती कर, उसके साथ सम्भोग करने से है। बलात्कार से पीड़ित महिला को अनेक मनोवैज्ञानिक कष्टों का सामना करना पड़ता है और उसका सामाजिक जीवन अस्त-व्यस्त हो जाता है। जिस प्रकार एक शीशा गिरकर टूटने से टुकड़े-टुकड़े हो जाता है, उसी प्रकार बलात्कार के बाद एक स्त्री का जीवन भी भयानक रूप से तार-तार हो जाता है। बलात्कार को पुरुष का महिला के प्रति हिंसात्मक अत्याचार का रूप माना जाता है।भारत में अभी भी बलात्कार के केस आए दिन प्रकाश में आते रहते हैं। न्यायालयों में अभी ऐसे केसों में बलात्कार के सिद्ध होने का दायित्ववादी पर है, जिसके कारण न्यायालय में नारी से अनेक आपत्तिजनक प्रश्न पूछे जाने के कारण ऐसे केस दबकर रह जाते है।
इस सन्दर्भ में अभी नारी जागृति की आवश्यकता है और कानूनो में अभी सुधार की आवश्यकता है।
2. अपहरण या भगा ले जाना (Kidnapping):-
अपहरण का तात्पर्य है किसी महिला को जबरदस्ती, कपटपूर्वक या धोखाधड़ी करके उसे बहला-फुसलाकर भगा ले जाना और उसके साथ यौन सम्बन्ध स्थापित करना या उसे उसकी इच्छा के विरुद्ध विवाह के लिए बाध्य करना। एक नाबालिग (18 वर्ष से कम आयु) लड़की को उसके कानूनी अभिभावक (माँ-बाप) की सहमति के बिना भगा ले जाना अपहरण के अन्तर्गत आता है। यदि 18 वर्ष से कम आयु की लड़की स्वेच्छा से अपने मित्र के साथ चली जाती है, तो भी उसे अपहरण कहा जाएगा।किसी नाबालिग । लड़की को फुसलाना, उस पर मानसिक दबाव डालना, उसे यौन सम्बन्ध : स्थापित करने के लिए राजी करना, उसे पैसे का लालच देना, उसके माता-पिता से उसे अलग करना आदि अपहरण के ही उदाहरण हैं। भारतीय दण्ड संहिता (I.P.C.) की धारा 366 व 361 के अनुसार, अपहरण करने वालों को कारावास तथा जुर्माने की व्यवस्था है। हमारे देश में एक दिन में लगभग 42 लड़कियों/स्त्रियों का अपहरण किया जाता है या उन्हें भगाकर ले जाया जाता है। इस प्रकार वर्ष में लगभग 15000 महिलाओं का अपहरण किया जाता है। इस प्रकार स्पष्ट होता है कि बालिका का अपहरण आगे चलकर अधिकांशतः बलात्कार में परिणित हो जाता है। इसे रोकने के लिए लोगों में इसके विरुद्ध चेतना पैदा करने की आवश्यकता होती है।
3. दहेज हत्याएँ व यातनाएँ:-
भारत में वर्तमान में आकांक्षाओं के अनुरूप दहेज न देने पर बहू जलाने के मामले बढ़ते ही जा रहे हैं। आज दहेज एक प्रकार का सौदा हो गया है। भारत में वर्तमान में महिलाओं को 'दहेज न ला पाने या अपर्याप्त दहेज लाने' के कारण अनेक प्रकार की शारीरिक-मानसिक यातनाएँ झेलनी पड़ती है और कभी-कभी तो उनकीहत्या कर दी जाती है।
4. पति द्वारा पत्नी को पीटना:-
महिलाओं के प्रति हिंसा उस समय अत्यधिक महत्त्वपूर्ण हो जाती है जब पति उसे पीटता है। एक स्त्री के लिए उस आदमी द्वारा पीटा जाना जिस पर वह सर्वाधिक विश्वास करती है, एक छिन्न-भिन्न करने वाला अनुभव होता है। यह हिंसा चाटे या लात मारने से लेकर यातना देने तक हो सकती है।5. विधवाओं और वृद्ध महिलाओं के विरुद्ध हिंसा:-
भारत में विधवाओं और वृद्ध महिलाओं को भी सामाजिक, आर्थिक और भावात्मक समंजन की समस्याओं का सामना करना पड़ता है। विधवाओं और वृद्ध महिलाओं के विरुद्ध हिंसा में प्राय: पीटना, गाली-गलोज करना, लैंगिक दुर्व्यवहार, सम्पत्ति में वैध हिस्से-से वंचित रखना, भावनात्मक उपेक्षा आदिदुर्व्यवहार सम्मिलित हैं।
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