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मनुष्य में हृदय रोग (human heart diseases)

human heart disease
secure heart and healthy heart
आज कल हमारे समाज में इतनी भाग दौड़ हो गयी है की किसी को किसी से हाय हेल्लो भी करने का समय नहीं मिलता है घर समाज में हम इतने व्यस्त हो गए है की हम आने स्वस्थ का भी ख्याल ठीक से  नहीं रख पते है |

आज के समय में ग्रामीण क्षेत्र हो या शहर या हमारे आस पास का वातावरण हर जगह प्रदूषण फैला हुआ है आये दिन हमारे वातावरण में जहर घुल रहा है | अब तो जो हवा या ऑक्सीजन हम लेते है वो भी शुध्द नहीं रह गया है |
तो जाहिर सी बात है ऐसे में हमारा स्वस्थ बिगड़ना लाजमी है ,हमारे रहन सहन से भी हमारे स्वस्थ पर प्रभाव पड़ता  है |

इस भाग भरी जिन्दगी में हमारी सेहत दिन प्रतिदिन खराब होता जा रहा है और अपने आस पास देखा जाये तो पता चलता है की प्रत्येक 10 व्यक्ति में से 7 या 8 लोग दिल या हृदय की बीमारी से ग्रस्त है |


ऐसे में हम जब डाक्टर के पास जाते है तो डाक्टर चेक करने के बाद हमें बताता है की आपको ये बीमारी है वो बीमारी है और हमें टेंशन हो जाती है क्योकि हमें तो उस बीमारी के बारे में पता नहीं होता ना  | ये क्या होता है ? कौन सी बीमारी है ?

तो चलिए जान लेते है  दिल की या हृदय से सम्बंधित बीमारियों को क्या होता है और किस कारण से होता है ?हो सकता है की कुछ का नाम सुना हो पर आज अच्छे से जन लेते है |


1-हाइपोटेंशन और हाइपरटेंशन (hypotension and hypertension):-


हाइपोटेंशन और हाइपरटेंशन को जानने के लिए पहले जान ले की ब्लड प्रेशर क्या होता है ? ब्लड प्रेशर वह प्रेशर है जो धमनियों में रक्त प्रवाह कायम रखता है |हृदय को क्रमशःसंकुचित और शिथिल होने से इस प्रेशर का सृजन होता है संकुचित अवस्था के दबाव को सिस्टोलिक तथा शिथिल अवस्था के दबाव को डाइस्टोलिक कहते है



low blood pressure
hypotension

हाइपोटेंशन:-

किसी भी कारण से उत्पन्न रक्त दाब की कमी की अवस्था को 'लो ब्लड प्रेशर' या 'हाइपोटेंशन' कहते है व्यस्को में ब्लड प्रेशर १०० mm Hg से कम मिलने पर भी उन्हें हाइपोटेंशन का रोगी मन जा सकता है 

कारण :-

ख़राब स्वास्थ्य ,उपवास ,भोजन तथ जल की कमी वमन एवं कुछ रोगों जैसे एडिसन रोग ,तथा टी बी आदि के कारण हाइपोटेंशन पाया जाता है |

हाइपोटेंशन के लक्षण :-

इसमें रोगी का शरीर ठंडा ,त्वचा पीला,दृष्टि शक्ति कम ,शरीर में ऐठन ,कम मूत्रत्याग तथा अधिक हाइपोटेंशन होने पर रोगी की मृत्यु हो सकती है |


high blood pressure
hypertension

 हाइपरटेंशन :-

 सिस्टोलिक दबाव यदि 140 mm Hg से अधिक और डाइस्टोलिक दबाव 90 mm Hg से अधिक हो जाए ,तो उस स्थिति को 'उच्च रक्त चाप' या हाइपरटेंशन कहते है 


कारण :-

तनाव ,धूम्रपान ,मदिरापान ,नमक का अत्यधिक प्रयोग ,मोटापा ,वसायुक्त भोजन ,गर्भ निरोधक गोलिया ,व्यायाम की कमी आदि |

हाइपरटेंशन के लक्षण :-

घबराहट ,साँस फूलना, नीद ना आना  ,बेचैनी ,बार बार ह्रदय का दौरा पड़ना ,हृदय का दौरा पड़ना सामान्य व्यक्ति से तीन गुना तथा लकवा होने का भय चार गुना होता है |


2-ल्यूकीमिया (Leukaemia ):-

lyukimiya
leukaemia

यह कैंसर की तरह होता है लकिन कैंसर नहीं होता है इसमें होता हे है की श्वेत रक्त कोशिकाए बहुत अधिक संख्या में उत्पन्न होती है |जिस प्रकार की श्वेत कोशिकाओ की बाहुल्यता होती है उसी के अनुसार इसे लिम्फाइड (lymphoid) अथवा माइलाइड (myloid) ल्यूकीमिया कहा जाता है |यह रोग किसी भी आयु में पाया जा सकता है | माइलाइड ल्यूकीमिया अधिक गंभीर होती है तथा बाल्यकाल में अधिक होता है यह दशा तीव्र तथा हमें के लिए हो सकता है |तीव्र ल्युकिमिया में मृत्यु भी हो सकती है |


3-अरक्तता (Anaemia-एनीमिया ) :-

enimiya,araktta
anaemia
एनीमिया उस अवस्था को कहते है जब रक्त में लाल रक्त कोशिकाए अथवा हिमोग्लोविन  की कमी हो जाती  है एनीमिया के मूल लक्षण रक्त की ऑक्सीजन वहन क्षमता में कमी के कारण प्रकट होता है |इसमें रोगी को साँस फूलना ,बेचैनी ,थकान,भूख न लगना तथा त्वचा का फीकापन आदि लक्षण दीखते है हिमोग्लोबिन के कमी के कारण होने वाली एनीमिया को ठीक किया जा सकता है हिमोग्लोबिन के कमी को पूरा करके |इसके मुख्य स्रोत सेब अनार और चुकंदर है |



4-हृदयशूल (angina):-

hridy shul,anjina
angina

छाती के मध्य भाग में तीव्र प्रकार की वेदना या पीड़ा angina कहते है |यह शूल विशेस रूप से हृदय से वाम स्कन्ध एवं भुजा की ओर फैलता है |angina रोग रक्त में कोलेस्ट्रोल की वृध्दि ,प्लेटलेट्स में चिपचिपा पन तथा फिब्रिनोजन आदि के वृध्दि होने के कारण हृदय की भित्ति को भली प्रकार रुधिर प्राप्त न होना ,रक्त का थक्का बनना या करोनरी धमनी में संकुचन के कारण होता है |ईएसआई अवस्था में हृदय पेशियों को ऑक्सीजन प्राप्त नहीं होती है |और साइन तथा कंधे में तेज दर्द होता है |



5- हृदयावरण शोथ (pericarditis):-

hridyavaran shoth
pericarditis

इस दशा में हृदय को ढकने वाली झिल्ली में सूजन आ जाती है और हृदयावरण शोथ (pericardium) में तरल एकत्रित हो जाता है ;फलस्वरूप हृदय की मुक्त गति नहीं हो पति है | इस तरह के रोगी को -घबराहट ,साँस फूलना ,बेचैनी ,थकान आदि समस्याए आती है |




6-अंतर्हृदय शोथ (endocarditis) :-

antrhridy shoth
endocarditis

हृदय के कोष्ठों को भीतर से ढकने वाली कला endocardium कहलाती है इस अवस्था में इसमें सूजन आ जाती है |ऐसा रुमेटीज्वर (rheumatic fever )में हो सकता है | प्राय: यह रोग बच्चो तथा युवा व्यक्तियों में होता है और मुख्यत: माइट्रल वाल्व को प्रभावित करता है |





7-कोरोनरी धमनी रोग (coronary artery disease):-

coronary dhamni rog
coronary artery disease

शरीर में कोलेस्ट्रोल के जमाव के कारण या ह्रदय धमनी की शाखा में रक्त जमाव के कारण कोरोनरी धमनी धीरे धीरे संकीर्ण या पतला हो जाती  है रक्त जमाव के कारण यकायक भी यह बंद या अवरूध्द हो सकती है दोनों दशावो में हृदय पेशी का रक्त सप्लाई घटजाता है ,जिससे हृदय पेशी में स्थानीय अरक्तता (myocardial ischaemia) तथा रोगी को छाती में पीड़ा या हृदयशूल (angina pectoris) होता है |

                                             
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