Home » » पाचन तन्त्र सम्बंधित बीमारिया Digestive system related diseases

पाचन तन्त्र सम्बंधित बीमारिया Digestive system related diseases

आज कल पर्यावरण प्रदुषण के साथ साथ हर अच्छी चीजो में मिलावट आ गया है जैसे दुध में पानी ,सब्जियों को चमकाने के लिए पोलिस , मिठाई में दूध की जगह पाउडर और भी बहुत सारी चीजे है जिनके बारे में आप अक्सर सुनते होंगे इसके अलावा हम बहार का जंक फ़ूड भी खाते है और बीमार हो जाते है जिसमे पेट दर्द ,पेट में  गैस ,फ़ूड एलर्जी और भी कई पेट के पाचन सम्बंधित बीमारिया हो जाती है आइये आज हम पाचन तन्त्र  सम्बंधित रोगों को जाने ,उनका कारण क्या है ,लक्षण क्या है ,और उनका उपचार क्या है ?





1.- ड्यूडिनल अल्सर  (duodenal ulcer) :- 

गृहणी की म्यूकोसा  में अल्सर का बनना।


कारण :-


  1. हेलिकोबैक्टर पायलोरी का संक्रमण होना
  2. तनाव, शराब का सेवन करना
  3. चाय, कॉफी का अत्यधिक सेवन करना
  4. कोर्टिकोस्टीरॉइड एवं नॉन-स्टेरॉइडल एन्टीइनफ्लेमेटरी दवाइयों का प्रयोग।
  5. गैस्ट्राइसिस के बाद होनेकी सम्भावना बढ़ जाती है।


लक्षण :- 


  1. मिडेपिगेस्ट्रिक क्षेत्र में दर्द होना तथा दर्द खाना खाने से ठीक हो जाना।
  2. मल में रुधिर की उपस्थिति (melena) होना
  3. चिन्ता एवं बैचेनी होना


उपचार :-


  • एन्टीएसिड उदाहरण एल्युमिनियम हाइड्रॉक्साइड ये औषधियाँ अम्लीयता को कम करने के लिए दी जाती है।
  • H2 रिसेप्टर एन्टागोनिस्टिक उदाहरण रेनीटिडीन, साइमेटिडीन आदि। ये औषधियाँ गैस्टिक अम्ल का स्रावण कम करती है।
  • प्रोटोन पम्प इनहिबिटर्स उदाहरण ओमेप्राजोल, ये भी गैस्टिक अम्ल का स्रावण कम करती है।
  • एंटीबायोटिक्स (antibiotics) उदाहरण क्लेरीथ्रोमायसिन, एम्पीसिलीन आदि।




2.- अपेन्डिसाइटिस (appendicitis):- 

अपेन्डिक्स में इनफ्लेमेसन अपेन्डीसिट्स कहलाता है।


कारण :-


  1. फिकल मैटर, कैल्कुल्स या पथरी के द्वारा एपेन्डिक्स की ल्यूमेन का बन्द होना।
  2.  टिविस्टिंग ऑफ अपेन्डिक्स
  3. आंत की दीवारों में सूजन आना


लक्षण :-


  1. मैकबर्ने के बिन्दु पर दर्द यह एपेन्डेसिटी का मुख्य लक्षण है।
  2. फ्लेट्स पास होने या आंत्रीय गति के बाद दर्द ठीक हो जाता है।


उपचार :-


  • एपेन्डेक्ट्रॉमी ऑपरेशन द्वारा अपेन्डिक्स को हटा देना




3.- अल्सरेटिवकोलाइटिस (ulcerative-colitis):- 

इस रोग में आँतों में अल्सर निर्माण एवं प्रदाह होने की वजह से पोषक पदार्थों का सही तरह से अवशोषण नहीं हो पाता है।

कारण :-


  1. इस रोग के अलग-अलग कारण है। इसके प्रमुख कारण निम्न हैं
  2. बैक्टीरिया
  3. एलर्जीक प्रतिक्रिया
  4. एल्टर्ड इम्यून सिस्टम
  5. इमोशनल डिस्ट्रयूबेन्स


लक्षण :-


  1. अल्सरेटिव कोलाइटिस के मुख्य लक्षण है। दस्तान लगना, दस्तों के दौरान मल के साथ रक्त, म्यूकस एवं मवाद आना| पेट की कोमलता, भूख न लगना एवं वजन का कम होना।
  2. मल के साथ रक्त आने के कारण रोगी एनीमिक हो जाता है।


उपचार :-


  • कॉर्टीकोस्टेरोइड जैसे कि बीटामेथासोम
  • एन्टीमाइक्रोवियल दवाइयाँ-संक्रमण को ठीक करने के लिए बीमारी की एक्यूट अवस्था के दौरान मरीज को मुँह से कुछ भी नहीं दें। मरीज को निम्न अवशेष तथा उच्च प्रोटीन युक्त भोजन दें।
  • सर्जरी-प्रोक्टोकोलेक्टॉमी सर्जरी द्वारा मलाशय तथा आंशिक या पूर्ण कोलोन को हटा देना।




4.- इन्टेस्टाइनल ऑब्स्ट्रक्शन (intestinal obstruction):- 

आंत  में उपस्थित भोज्य पदार्थों की आगे की तरफ गति में आंशिक या पूर्ण रूपेण बाधा उत्पन्न होना।

कारण :-


  1. एडहेसन्स ये बहुत सामान्य कारण है।
  2. हार्निया
  3. टविस्टाइन ऑफ आवेल
  4. टयूमर
  5. पेरालाइटिक इलियस
  6. आंत्र के किसी भाग में अपर्याप्त रुधिर आपूर्ति होना


लक्षण :-


  1. उदर दर्द (abdominal pain) होना
  2. पेट फूलना तथा उल्टी होना (abdominal distension)
  3. कब्ज (constipation) होना


उपचार :-


  • आंत नली डालना
  • सर्जरी का प्रकार बाधा के स्थान तथा प्रकार पर निर्भर करता है।
  • निम्नलिखित सर्जरी की जा सकती बोवेल, रिसेक्सन, कोलोस्टोमी, बाइपास विधि



5.- गैस्ट्रोइसोफैजियल रिफ्लक्स  (gastroesophageal reflux):-

 इसमें आमाशय एवं ग्रहणी (duodenum) में मौजूद खाद्य पदार्थों का ग्रसिका (oesophagus) में उल्टा प्रवाह (back flow) हो जाता है।


कारण :-


  1. निचले इसोफेजियल स्फिंक्टर का अपूर्ण रूप से विकसित होना या कार्य करना
  2. पायरोलिक छिद्र का सँकरा होना (पायलोरिक छिद्र गृहणी (duodenum) एवं आमाशय के मध्य पाया जाता है।)


लक्षण :-


  1. अपाचन होना।
  2. खाद्य पदार्थों का ग्रसिका (oesophagus) में उल्टा प्रवाह होना।
  3. भोजन निगलने में परेशानी (dysphagia) होना।
  4. लार का अधिक स्रावण होना |


उपचार :-


  • अम्लीयता को कम करने के लिए उदाहरण एल्युमिनियम हाइड्रॉक्साइड
  • H2 रिसेपटर एन्टागोनिस्टिक उदाहरण रेनीटीडीन, साइमाटीडीन आदि
  • प्रोकाइनेटिक औषधियाँ ये आमाशय के खाली होने की गति को बढ़ाकर खाद्य पदार्थों के उल्टे प्रवाह को रोकती हैं।




6.-गैस्ट्राइटिस (gastritis):-

गैस्ट्रिक म्यूकोसा में प्रदाह (inflammation) होना


कारण :-


  1. तीव्र ग्रेस्ट्राइटिस (acutegastritis)
  2. संक्रामक पदार्थों युक्त भोजन का सेवन करना, NSAIDS का प्रयोग उदाहरण एस्प्रिन
  3. अत्यधिक मात्रा में एल्कोहॉल चाय, कॉफी का प्रयोग करना
  4. रेडिएशन थैरेपी होना
  5. खाद्य विषाक्ता होना क्रोनिक, गैस्टिक दीर्घकालिक गेस्ट्राइटिस
  6. पेप्टिक अल्सर बीमारी होना, हेलिकोबेक्टर पायलोरी का संक्रमण होना, शराब का सेवन करना (अन्य acute के समान)


लक्षण :-


  1. पेट की कोमलता, एपिगेस्ट्रिक क्षेत्र में दर्द होना, जी मिचलाना एवं उल्टी होना, कभी-कभी उल्टी के साथ रक्त आना (haemetemesis),दस्त लगना, भूख न लगना ।
  2. भूख न लगना, एब्डोमिनल टन्डरनस पेट की कोमलता, जी मिचलाना एवं उल्टी होना, मुँह में खट्टा स्वाद आना, विटामिन-B12 की कमी हो जाना।


उपचार :-


  • एल्कोहॉल, चाय, कॉफी, मसालेदार खाद्य पदार्थों का सेवन न करें
  • लक्षणों के समाप्त होने तक खाना एवं तरल पदार्थ न दे उसके बाद धीरे-धीरे शुरूआत में तरल पदार्थ फिर घुटा भोजन और फिर ठोस आधार दें।
  • एन्टासिड, उदाहरण एल्युमिनियम हाइड्रॉक्साइड दें।
  • H2 रिसेप्टर एन्टागोस्निस्टिक उदाहरण रेनीटिडीन दें।
  • घुटा भोजन, चाय, कॉफी, निकोटिन के प्रयोग से बचे। मसालेदार भोजन से दूर रहें।




                                 

0 Comments:

एक टिप्पणी भेजें

please do not enter any spam link in the comments box.